Sunrise Candles – एक नेत्रहीन उद्यमी के द्वारा स्थापित 25 करोड़ की कंपनी

भावेश भाटिआ  कौन हैं ? और Sunrise Candles की स्थापना कैसे हुई ?

Sunrise Candles एक नेत्रहीन  उद्यमी भावेश चंदूभाई भाटिया के द्वारा  शुरू  की कंपनी है जो खुशबूदार मोमबत्तियां बनाने के लिए प्रसिद्द है।  जिसका अभी टर्नओवर करीब 25 करोड़ रुपये पहुंच चुका है। 

कहते हैं की अगर आपके अंदर जज्बा हो , कुछ करने की चाहत हो तो आपको कोई  रोक नहीं सकता है इतिहास बदलने से।  ऐसे महाबलेश्वर , महाराष्ट्र  के रहने  वाले  भावेश भाटिया की भी कहानी है।  आइये जानते हैं उनके  संघर्ष और और एक सफल उद्यमी बनने के बारे में। 

भावेश चंदूभाई भाटिया, जिनको  भावेश भाटिया के नाम से भी जाना जाता है, एक नेत्रहीन उद्यमी और सनराइज मोमबत्तियों के संस्थापक हैं ।  भावेश जी जन्म से नेत्रहीन नहीं थे परन्तु बचपन से ही उन्हें  रेटिना मस्कुलर कमजोरी ( Ratina Muscular Degenration) की  समस्या से पीड़ित थे  जिससे आपको सामान्य बच्चों से काम दिखाई देता था परन्तु फिर भी आपने  अर्थशास्त्र में परस्नातक  किया  और महाबलेश्वर एक होटल में मैनेजर की नौकरी भी की। 

संघर्ष की शुरुआत (Stuggling Days): 

भावेश जब होटल प्रबंधक (Hotel Manager ) के रूप में काम कर रहे थे  तभी उनके बचपन के रेटिना की समस्या के कारण  धीरे धीरे उनकी आँखों की पूरी रौशनी चली गयी , इसी वजह से उन्हें अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा।  उसी समय जब वह अपनी नेत्रहीनता से लड़ रहे थे उनकी माँ भी कैंसर से पीड़ित थी  उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी और कुछ समय पश्चात उनकी माँ ने भी साथ छोड़ दिया। 

वो समय भावेश के लिए सबसे दुःखद थे  क्योंकि नेत्रहीनता  और आर्थिक रूप से अक्षम होने कारन कुछ भी करने में समर्थ नहीं थे।  भावेश के जीवन में उनकी माँ का सहयोग उनके लिए बहुत बड़ा सम्बल था वो भी अब खतम हो चूका था  अन्तः वो पूरी तरह निराश थे। 

नयी शुरुआत (Start a New Journey):

सन  1999 में भावेश मुंबई आ गए और  राष्ट्रिय नेत्रहीन एसोसिएशन  National Association for Blind (NAB) ज्वाइन किया। वहां पर आपने मोमबत्तियां बनाना सीखा। परन्तु मोमबत्तियां बनाने से पहले भावेश की पहली ट्रेनिंग मसाज कोर्स (Massage Course)  और क्ले आर्ट (Clay Art) की हुई। 

मोमबत्तियां बनाना  भावेश जी ने पार्ट टाइम  ही शुरू किया था शुरू में वो इन्हे रात में बनाते और दिन में अपनी एक किराये की दुकान जो की महाबलेश्वर में थी में बेचते थे। वो शुरुआत में खुद ही सब कुछ करते थे। भावेश के अनुसार यहीं से Sunrise Candles की नींव पड़ी और व्यापर की शुरुआत हुई। 

पत्नी से मुलाकात (Meeting with Future Wife):

भावेश जब अपनी बनायीं हुई मोमबत्तियां बनाकर एक दुकान से बेचते थे वहीं पर  मुलाकात अपनी होने वाली पत्नी नीता से हुई।  शुरुआत में तो नीता के घर वाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे परन्तु नीता के मनाने के बाद भावेश और नीता की शादी हुई और आज इनका एक पुत्र कुणाल है।

समय का बदलना (Change Of Time) :

अपना काम और अधिक बढ़ाने के लिए भावेश काफी समय से बैंक से लोन के लिए प्रयास कर रहे थे परन्तु सफल नहीं हो पा रहे थे अपनी शादी के बाद भावेश को  बैंक ऑफ़ सतारा (Bank Of Satara) में National Association for Blind (NAB) के द्वारा आयी हुई एक स्कीम के तहत 15 हज़ार का लोन मिला, जिससे उन्होंने 20 kg वैक्स (Wax) ख़रीदा और इसके पश्चात फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

सनराइज मोमबत्तियां (Sunrise Candles):

आज सनराइज कैंडल (Sunrise Candle) का कारोबार 200 टन प्रति माह का है और करीब 10000 मोमबत्तियों का उत्पादन रोज होता है साल के 365 दिन लगातार।  Sunrise Candles के पास आज 10 हज़ार से ज्यादा डिज़ाइन हैं जिनमे प्लेन , खुशबूदार (Scented) और अरोमाथेरपी (Aromatherapy) सभी तरह की मोमबत्तियां शामिल हैं। 

Sunrise Candles की आज के समय में करीब 80 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं और 65 देशों में ये मोमबत्तियां निर्यात करते हैं। 

Sunrise Candles में करीब 2300 या कहें 99 प्रतिशत नेत्रहीन कर्मचारी काम करते हैं जिनको 10 हज़ार से शुरू करके 50 हज़ार तक की सैलरी दी जाती है। 

यह एक बहुत बड़ा योगदान है उन लोगों के लिए जो नेत्रहीन होने की वजह से कहीं भी काम पाने में सक्षम नहीं हैं। 

भावेश भाटिया को अवार्ड और पुरस्कार (Awards ) :

सन 2014 में भावेश भाटिया को उनके उम्दा कार्य के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने नेत्रहीन स्वरोजगार का राष्ट्रिय पुरस्कार (National Award for Best Self-Employed For  Blind People) प्रदान किया किया। 

सन 2010 में शिवसेना ने बेस्ट हैंडीक्राफ्ट का पुरस्कार  प्रदान किया। 

Bhavesh Bhatiya(Sunrise Candles) with Mukesh Ambani( Relience)
Bhavesh Bhatia with Mukesh Ambani (Image Source- sunrisecandles.in)

निष्कर्ष (Conclusion):

भावेश भाटिया और Sunrise Candles की कहानी हमें यह सिखाती है की जीवन में उजाला आँखों से जयदा आपकी अंतरात्मा से आता है , अगर आपकी इक्षाशक्ति मजबूत है,आपके सपने बड़े हैं, आपका विज़न एक दम साफ़ है और लड़ने की क्षमता है तो आपको कोई रोक नहीं सकता है इसलिए हिम्मत मत हारे डटकर मुकाबला करें। 

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