उपभोक्ता का डाटा (data) राष्ट्रीय परिसंपत्ति (Natinal Asset ) है – नई ड्राफ्ट ई-कॉमर्स पॉलिसी
23 फरवरी 2019 दिन शनिवार को सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण तथा डाटा सुरक्षा (consumer conservation and data security) के मददेनजर “ड्राफ्ट इ -कॉमर्स पालिसी ”को पेश किया | 41 पेज की रिपोर्ट में मुख्य रूप से इस बात पर प्रश्न उठाया गया की भारत के बाहर की कम्पनियाँ जो की यहाँ पर पंजीकृत (Registered) भी नहीं हैं और अपना व्यापार धड़ल्ले से कर रही है उपभोक्ता के डाटा (data) का गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकती है | सरकार ने उपभोक्ता के डाटा (data) को राष्ट्रीय परिसंपत्ति (National Asset) की संज्ञा दी है।
Draft e -commerce policy बनाने का कारण
दिसम्बर 2018 में जब सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीतियाँ e -कॉमर्स सेगमेंट के लिए बनायी थी तभी से Draft e -commerce policy चर्चा में थी | इसके निर्माण की मुख्य वजह उपभोक्ता और उसके डाटा (data) को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा एवं संरक्षण देना है कई निम्नवत बिंदु हैं जिन के कारण इस तरह की पॉलिसी लाने पर विचार करना पड़ा.
(1)- भारत में जो भी कम्पनियाँ ऑनलाइन कारोबार (Online Bisuness )से जुड़ी हैं तथा जिनसे हम कंटेंट डॉऊनलोड करते हैं वह यहाँ पर पंजीकृत (registered ) होना चाहिए | जबकि कई ऐसी कंपनियां हैं जो यहां रजिस्टर्ड भी नहीं है और बेधड़क बढ़िया व्यापार कर रहीं हैं।
(2)- देश में पंजीकृत (registered) ना होने के कारण ये कंपनियां किसी भी तरह का कोई टैक्स जैसे जी एस टी (G S T) आदि भी सरकार को अदा नहीं करती हैं।
(3)- इन वेबपोर्टल से सामान खरीदने में भारतीय उप्भोक्ता धड़ल्ले से अपना डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं। उपभोक्ता का डाटा (data) लीक होने या कोई धोखाधड़ी होने की स्थिति में इन कंपनियों पर कोई क़ानूनी करवाई संभव नहीं है
(4)- कई सारे विदेशी ई-कॉमर्स ब्रांड जो तेजी से आगे बढ़ रहे हैं जैसे ब्रांड फैक्ट्री (Brand Factory), चाइना ब्रांड (China Brand) , शेन (Shein) इत्यादि। ये हर माह काफी सारे आर्डर भारत में डिलीवर करते हैं ये सारी डिलीवरी उपहार पैकेट (gift pack) के रूप में दिखाई जाती है जिसके कारण इस पर कोई इम्पोर्ट ड्यूटी (import duty) भी नहीं लगती है।
(5)- सरकार ने 9 मार्च 2019 तक जनता का फीडबैक लेने के बाद ड्राफ्ट ई-कॉमर्स पालिसी लागू करने का निर्णय लिया है।
Market Place(ई-कॉमर्स)बिज़नेस पर लगे नए कानून
देश की नई e-commerce policy के लिए पढ़ें
ड्राफ्ट ई-कॉमर्स पालिसी के फायदे (Draft e-commerce policy benefits)
(1) – कोई भी E-retailer अगर भारत में कारोबार करता है तो उसे अपना बिज़नेस यहाँ पर पंजीकृत (registered) करना होगा।
(2) – जो भी ई-कॉमर्स कंपनी यहां कारोबार करती हैं उनको यहां के टैक्स नियम (tax rules) का पालन करना होगा। इससे सरकार के रेवेन्यू में इजाफ़ा होगा।
(3) – भारत में पंजीकृत होने वाली कंपनी किसी तरह की धोखा-धड़ी (fraud) करती है तो उसपर भारतीय कानून के अनुसार सजा का प्रावधान होगा
(4) – इस नियम के अनुसार कंपनी को अपने सामान का मूल्य (price) रुपये (rupees) में अंकित करना अनिवार्य होगा।
(5) – इस नियम से उपभोक्ता के अधिकारों को ताकत मिलेगी तथा व्यापार में पारदर्शिता आएगी। कोई भी ई-रिटेलर कंपनी तथा उपभोक्ता दोनों के हितोँ की रक्षा होगी।
जैसे जैसे ई-कॉमर्स बिज़नेस बढ़ रहा है लोगों तक इसकी पहुंच लगातार बढ़ती जा रही है इंटरनेट के माध्यम से होने वाले व्यापार में सीमाएं ख़तम सी हो गयी हैं अतः हर देश को अपने हितों एवं उपभोक्ता और उसके डाटा (data) को के संरक्षण के लिए नियम कानून बनाना जरुरी है जिससे व्यापार ,व्यापारी एवं ग्राहक सभी सुरक्षित महसूस कर सकें। इससे ही देश का विकास भी संभव है।