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New Govt. Rules For Online Market Places – रेसलर्स(resellers) ने किया अभिनन्दन
भारत सरकार ने ई-कॉमर्स (e-commerce market place) बिज़नेस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए तथा उससे जुड़े लोगों की व्यापार एवं रोज़गार की सुरक्षा के मद्देनजर इस इंडस्ट्री पर 1 फ़रवरी 2019 को सख्ती से नयी पॉलिसी (E-Commerce Policy) लागू कर दिया है छोटे एवं मध्यम ऑनलाइन सेलर्स ने इस फैसले का स्वागत किया है इस लेख में हम इसके प्रभाव तथा दुष्प्रभाव पर प्रकाश डालेंगे।
हिंदुस्तान में दो बड़ी e-commerce market place कंपनियां अमेज़न (Amazon) तथा फ्लिपकार्ट (Flipkart) हैं जिनका बाज़ार के करीब 80-90 प्रतिशत भाग पर कब्ज़ा है इसके अलावा अन्य कंपनियां भी हैं जो अपने सेगमेंट में अच्छा काम करती हैं।
अमेज़न तथा फ्लिपकार्ट दोनों कंपनियां में विदेशी हिस्सेदारी ज्यादा से ज्यादा है करीब 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा का हिस्सा विदेशी निवेशकों ने ले रखा है।
अभी तक ये था की ये दोनों बड़ी कंपनियां अपने ही मार्केट प्लेस (market place) यानी वेबसाइट पर खुद ही होलसेल रेट पर माल ले कर अधिकतम छूट (discount) और ऑफर के साथ बेचती थीं जिससे छोटे तथा मध्यम रिसेलर (small and medium) को अपना सामान बेचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।
E-Commerce का नया नियम क्या है – New e-commerce policy –
1 – कोई भी मार्केट प्लेस (market place) कंपनी अर्थात ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनी अपनी अन्य किसी रिटेल या होलसेल कंपनी के माध्यम से अपना ही सामान अपने वेबसाइट पर नहीं बेच सकती है जिसमे उसकी हिस्सेदारी हो।
2 – ई-कॉमर्स(e-commerce) कंपनियों के आने से बाज़ार में छूट (discount), ऑफर (offer) एवं सामानों के दामों में काफी फेरबदल करके लुभाने का काम चल रहा है अतः सरकार का मानना है की ई-कॉमर्स कंपनियां वस्तुओं के दाम के मामले में ईमानदारी बरतें जिससे मार्केट का माहौल स्वस्थ्य (healthy) तथा स्तरीय (standard) बना रहे।
3 – नए नियम के हिसाब से ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सामान के दामों को प्रभावित नहीं कर सकती हैं।
4 – कोई भी सेलर किसी भी मार्केट प्लेस(market place) या वेबसाइट (website) पर अपना सामान विशेष रूप से या exclusively नहीं बेच सकता है क्योंकि एक दो सालों में ये तरीका काफी बढ़ गया था ज्यादातर नए प्रोडक्ट लांच में ये तरीका पॉपुलर था।
5 – भारत सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या एफ डी आई पॉलिसी कभी ई-कॉमर्स इन्वेंटरी (e-commerce inventory) मॉडल को सहयोग नहीं करती है इस नीति के अनुसार कोई भी मार्केट प्लेस(market place) या उसकी कंपनी किसी वेंडर से 25 प्रतिशत से ज्यादा इन्वेंटरी नहीं ले सकती है। अगर कोई कंपनी 25 प्रतिशत से ज्यादा है इन्वेंटरी किसी वेंडर से लेता है तो वह वेंडर कंपनी द्वारा नियन्त्रित माना जायेगा।
बड़े खिलाड़ियों पर पड़ने वाला प्रभाव –
भारत के दो बड़े ई-कॉमर्स(e-commerce) के खिलाड़ी अमेज़न तथा फ्लिपकार्ट दोनों ही cloudtail india pvt ltd तथा ws retail के माध्यम से अपने ही वेबसाइट पर सामान बेचते हैं जबकि दोनों ही वेंडर्स में कंपनियों की साझेदारी है।
Cloudtail India की पृष्ठ भूमि(background ) में जाते हैं तो पता चलता है की पहले 2011 में ये कंपनी Sparrowhowk sales and marketing के नाम से थी अगस्त 2012 में इसी का नाम बदलकर Cloudtail India रख दिया गया।
Prione Business Services नाम की कंपनी की 99.9 प्रतिशत हिस्सेदारी Cloudtail में है जबकि यह कंपनी स्वयं एक संयुक्त उपक्रम (Joint Venture) है अमेज़न तथा इनफ़ोसिस (infosys) के को-फाउंडर(co-founder) एन नारायणमूर्ति की कंपनी Cataraman Advisors का। Prione business में Cataraman की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है जबकि 48 प्रतिशत अमेज़न के पास है बचा हुआ 1 प्रतिशत Amazon urashia holding के पास है।
इसके अलावा अमेज़न Appario retail के माध्यम से भी सामान बेचता है जिसमें इसकी हिस्सेदारी 48 प्रतिशत है जबकि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी पाटनी कम्प्यूटर्स के को-फाउंडर अशोक पाटनी की कंपनी का है।
नए नियम के अनुसार फ्लिपकार्ट तथा अमेज़न ws retail और cloudtail india pvt ltd तथा Appario के माधयम से सामान नहीं बेच सकते हैं।
नए नियम से होने वाला फायदा एवं नुकसान –
1 – ई -कॉमर्स(e-commerce) कंपनियों के आने से सबसे ज्यादा फायदा ग्राहकों को ही अब तक हुआ है परन्तु अधिकतम छूट (discount ) पर मिलने वाला सामान अब कम हो जायेगा।
2 – रिसेलर (reseller ) को इसका लाभ मिलेगा क्योंकि अब उनका सामान ज्यादा बिकेगा , पहले ये कंपनियां अपने वेंडर के सामान को ज्यादा प्रमोट करती थी जो अब कम हो पायेगा।
3 – छोटे और मझले दुकान वालों और बिज़नेस करने वालों भी राहत मिलेगी क्योंकि इस लड़ाई में उनका नुकसान ही हो रहा था लोग दुकान से रेट लेकर ऑनलाइन खरीदारी कर रहे थे जो अब कम होगा क्योंकि दाम में ज्यादा अंतर नहीं रह जायेगा।
जिस तेजी से ई-कॉमर्स(e-commerce market place) ग्रोथ कर रहा है सरकार और कंपनियों दोनों को चाहिए की बाज़ार का संतुलन बना रहे और सभी को व्यापार करने और आगे बढ़ने में सहयोग मिले।