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Angel Tax स्टार्ट-अप में एंजेल इन्वेस्टमेंट (angel investment) पर लगने वाला टैक्स
देश में करीब 80 स्टार्ट-अप ऐसे है जिनको एंजेल टैक्स (Angel Tax) का नोटिस इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के द्वारा भेजा गया है और इनमें हड़कम्प मचा हुआ है क्योकि इनमें टैक्स करीब 30% लगा हुआ है जो की एक बड़ा भाग होता है। परन्तु सरकार ने आश्वासन दिया है की घबराने की कोई जरुरत नहीं है इस पर एक कमेटी बैठेगी और इसका रिव्यु ( Review ) करेगी उसके बाद ही कोई फैसला लिया जायेगा।
Angel Tax क्या है ?
किसी भी स्टार्ट आप को चलाने के लिए और ग्रोथ करने के लिए पैसे अर्थात कैपिटल (capital) की आवश्यकता होती है इन स्टार्ट-अप में कई तरह से फंडिंग होती है इनमे में एक होता है एंजेल इन्वेस्टमेंट (Angel Investment), अत: Angel Invester के द्वारा मिले फण्ड पर लगे टैक्स को ही Angel Tax कहते है।
सरकार का मानना है की Angel Investment में ये स्टार्ट-अप कंपनियां फंडिंग के लिए जिन शेयर मूल्य पर इन Angel Investment कंपनी को शेयर देती हैं वह वास्तविक मूल्य से बहुत ज्यादा होता है और ये इन्वेस्टमेंट कंपनी भी बाजार में लिस्टेड नहीं अनलिस्टेड ( Unlisted ) होती। हैं।
Angel Tax की शुरुआत –
Angel Tax शुरुआत सनं 2012 में उस समय के तत्कालीन वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने किया था। Angel टैक्स को वर्ष 2012 के यूनियन बजट में पेश किया गया था इसको लगाने का मकसद ये था की काले धन को ऐसे इन्वेस्टमेंट के जरिये सफ़ेद न बनाया जा सके।
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Angel टैक्स से राहत के उपाए –
सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 56 के तहत इस टैक्स से बचने के उपाए भी बताये है, जो की निम्नलिखित है —
1 – किसी भी स्टार्ट-अप को Angel Tax से छूट मिल सकती है अगर Angel Investment की राशि 10 करोड़ से ऊपर न हो।
2 – स्टार्ट-अप को इंटर मिनिस्ट्रियल (Inter Ministrial) बोर्ड से अनुमति ( Approval ) लेना होगा तब Angel Tax से छूट के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
3 – स्टार्ट-अप को Angel Tax बचने लिए किसी मर्चेंट बैंकर ( Merchant Banker ) से वैल्यूएशन ( Valuation) का सर्टिफिकेशन ( Certification ) भी लेना होगा।
4 – Angel Tax में छूट या बचाव तभी संभव है तब Angel Invester की कुल सम्पति 2 करोड़ से ज्यादा हो या फिर पिछले 3 वर्ष का रिटर्न (return) 25 लाख से ऊपर हो।
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वैल्यूएशन ( Valuation ) के मामले पर स्टार्ट-अप की मांग
Start – Ups Demand On Valuation Issue —
जब कोई भी इन्वेस्टमेंट कंपनी किसी स्टार्ट-अप में निवेश करती है तो जो शेयर का मूल्य निर्धारित होता है वह आपसी सहमति और मोलभाव पर निर्भर करता है इसके आलावा इन्वेस्टमेंट के समय कंपनी का मौजदा परफॉरमेंस ( Performance ) , आने वाले तीन चार सालो में ग्रोथ और प्रोजेक्शन एवं फण्ड की जरुरत, सभी बिन्दुओ की ध्यान में रखा जाता है।
स्टार्ट-अप चाहते हैं की सरकार जैसा कह रही है की शेयर के प्राइस वास्तविक मूल्य ज्यादा पर इन्वेस्टर को दिया जा रहा है तो इसके लिए शेयर की मूल्यांकन में डिस्काउंट कैश फ्लो ( Discount Cash Flow ) method का इस्तेमाल किया जाय, न की नेट एसेट वैल्यू ( Net Asset Value ) को ध्यान में रखकर शेयर का मूल्यांकन करें।
Angel Tax मुद्दे पर सरकार का रुख —
Angel Tax को लेकर करीब 80 स्टार्ट उप एव angel investment करने वाली कंपनियों को कई नोटिस भेजे जा चुके है। Angel Investment करने वाली कंपनियों से बैंक स्टेटमेंट , आय के साधन तथा दूसरे फाइनेंसियल डाटा (financial data) को माँगा गया है। किसी मर्चेंट बैंकर ( Merchant Banker ) से valuation कराना भी काफी महंगा है किसी चार्टेड अक्कौन्टेड से कराने की तुलना में।
परन्तु सरकार ने आश्वासन दिया है की एक रिव्यू ( Review ) कमिटी के द्वारा इसपर चर्चा करने के बाद ही किसी तरह की कारवाही सम्भव होगी , इससे पहले कोई कारवाही संभव नहीं है अत: घबराने की आवश्कता नहीं है।
सरकार का रुख इस पर सहयोगात्मक तथा स्टार्ट-अप को बिना झंझट के काम का माहौल देने का रहा है सरकार चाहती है की युवा उद्यमियोँ (entreprenuers) का मनोबल बना रहे , व्यापर का माहौल भी हो और काळा धन को रोका जा सके।